मसूरी की सैर नहीं की तो आपने कुछ नहीं देखा!

क्या आप जानते हैं मसूरी को "पर्वतों की रानी" क्यों कहा जाता है? ये जगह सिर्फ एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं, एक भावना है।

पहाड़ों की रानी: मसूरी

मसूरी की खोज की थी एक ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन यंग ने। तब से लेकर आज तक यह जगह ब्रिटिश आर्किटेक्चर और नेचर लवर्स का हॉटस्पॉट बनी हुई है।

1825 में हुई थी खोज!

रस्किन बॉन्ड जैसे लेखक यहीं रहते हैं। यहां की हवाओं में कहानी बसी है और हर मोड़ पर कविता झलकती है।

वादियों में बसा साहित्य

लाल टिब्बा मसूरी का सबसे ऊँचा पॉइंट है। यहां से सूर्योदय देखना किसी जादू से कम नहीं लगता।

लाल टिब्बा से सूरज की पहली किरण

कैम्पटी फॉल सिर्फ एक वाटरफॉल नहीं, यह एक एहसास है जो आपकी थकान को मिटा देता है।

कैम्पटी फॉल: नेचर का रोमांच

माल रोड पर शाम को टहलना, गरम चाय पीना और दुकानों की रौनक, ये सब मिलकर एक परफेक्ट ट्रैवल मेमोरी बना देते हैं।

माल रोड की चहल-पहल

क्या आपको पता है कि मसूरी में कभी भूतों की कहानियाँ भी बहुत प्रचलित थीं? Landour और Lambi Dehar Mines से जुड़ी कहानियाँ आज भी लोगों को रोमांचित करती हैं।

मसूरी की अनसुनी कहानियाँ

सर्दियों में बर्फ, गर्मियों में ठंडी हवा और मॉनसून में बादलों की चादर— मसूरी हर मौसम में एक नई तस्वीर दिखाता है।

यहां हर मौसम है खास

मसूरी सिर्फ घूमने की जगह नहीं, यह खुद में एक एक्सपीरियंस है—शांति, रोमांच और यादों का संगम।

क्यों जाएँ मसूरी?

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